Wednesday, January 20, 2021

Shyam Sundar Manohar Varan*श्याम सुन्दर मनोहर वरन

 Shyam Sundar Manohar Varan*श्याम सुन्दर मनोहर वरन





श्याम सुंदर मनोहर वरण
हे गोपाल मदन मोहन
 
श्याम सुंदर मनोहर वरण
हे गोपाल हे गोपाल हे गोपाल
हे गोपाल मदन मोहन।।
 
श्री राधा वर
हे मुरली धर
श्री राधा वर
हे मुरली धर
 
हे गोपाल हे गोपाल हे गोपाल
हे गोपाल मदन मोहन
श्याम सुंदर मनोहर वरण।।
 
तिरछा है कीरिट कसा अर में
तिरछा बन माल पड़ा रहता है
तिरछी कटी काछनी है जिसमे।।
 
सुख सिंधु सदा उम्दा रहता है
सुख सिंधु सदा उम्दा रहता है।।
 
तिरछे ही कदम के वृक्षा तले
तिरछे दृग तां खड़ा रहता है
किस भाटी निकले कहो दिल से
तिरछा घनश्याम आड़ा रहता है।।
 
श्याम सुंदर मनोहर वरण
हे गोपाल हे गोपाल हे गोपाल
हे गोपाल मदन मोहन।।
 
श्री राधा वर
हे मुरली धर
श्री राधा वर
हे मुरली धर
 
हे गोपाल हे गोपाल हे गोपाल
हे गोपाल मदन मोहन
श्याम सुंदर मनोहर वरण।।

 
Shyam Sundar Manohar Varan
Hey Gopal Madan Mohan
 
Shyam Sundar Manohar Varan
Hey Gopal Hey Gopal Hey Gopal
Hey Gopal Madan Mohan
 
Shri Radha Var
Hey Murali Dhar
Shri Radha Var
Hey Murali Dhar
 
Hey Gopal Hey Gopal Hey Gopal
Hey Gopal Madan Mohan
Shyam Sundar Manohar Varan
 
Tircha Hai Keerit Kasa Urr Mein
Tircha Ban Maal Pada Rahta Hai
Tirchha Kati Kachhani Hai Jisme
 
Sukh Sindhu Sada Umda Rahta Hai
Sukh Sindhu Sada Umda Rahta Hai
 
Tirchhe Hi Kadam Ke Vriksha Tale
Tirchhe Drig Taan Khada Rahta Hai
Kis Bhaati Nikale Kaho Dil Se
Tirchha Ghanshyam Aada Rahta Hai
 
Shyam Sundar Manohar Varan
Hey Gopal Hey Gopal Hey Gopal
Hey Gopal Madan Mohan
 
Shri Radha Var
Hey Murali Dhar
Shri Radha Var
Hey Murali Dhar
 
Hey Gopal Hey Gopal Hey Gopal
Hey Gopal Madan Mohan
Shyam Sundar Manohar Varan

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यह ग्रन्थ यदुकुल के महान् आचार्य महामुनि श्रीगर्ग की रचना है। इस में श्रीमद्भागवत में सूत्ररूप से वर्णित श्रीराधाकृष्ण की लीलाओं का विस्तृत वर्णन किया गया है। श्रीराधा जी के दिव्य आकर्षण से आकर्षित भगवान् श्रीकृष्ण का रासरासेश्वरी श्रीराधा एवं गोपिकाओं के साथ रासलीला का इतना सुन्दर और सरस वर्णन अन्यत्र दुर्लभ है। पूर्वजन्म में गोपिकाओं द्वारा श्रीकृष्ण-प्रेम की प्राप्ति के लिये की गयी तपस्या तथा उनकी सरस कथाओं का भी इसमें सुन्दर वर्णन किया गया है। भगवान् श्रीकृष्ण के अनुरागी भक्तों के लिये यह दिव्य ग्रन्थ नित्य स्वाध्याय का विषय है।

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